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आधी-अधूरी ज़िंदगानियाँ

aadhi adhuri zindganiyan

राहुल राजेश

राहुल राजेश

आधी-अधूरी ज़िंदगानियाँ

राहुल राजेश

और अधिकराहुल राजेश

    बाहर अलगनी पर फड़फड़ाता तौलिया

    आदमी के अंदर बैठा हैवान है

    गीले कपड़ों से चू रहे पानी की बूँदें

    आदमी की आँखों में जम गया लहू है

    टूटकर इधर-उधर बिखर गए तिनके

    उस लड़की की बेवफ़ाइयाँ हैं

    स्नानघर के फ़र्श पर जमी काइयाँ

    मेरे सपनों की परछाइयाँ हैं

    खिड़की की जाली में रसोईघर की उसके

    चिपक गए हेल्दी आयल की चिपचिपाहटें

    उसके दिल की फटी एड़ियों की बिवाइयाँ हैं

    दीवार से झरती पपड़ियाँ

    उसके होंठों पर सूख गई मुस्कान है

    सुबह से शाम तक सड़कों पर

    ज़िंदगी की ये बदहवासियाँ

    अनगिनत अधूरे प्रेमों की ज़िद और थकान है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राहुल राजेश
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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