Font by Mehr Nastaliq Web

मृतकभक्त जातक

mritakbhakt jatak

अज्ञात

अज्ञात

मृतकभक्त जातक

अज्ञात

और अधिकअज्ञात

    मृतकभक्त1 2 जातक

    प्राचीन काल में वाराणसी के राजा ब्रह्मदत्त के समय में एक प्रसिद्ध त्रिवेदज्ञ ब्राह्मण अध्यापक रहता था। एक दिन उसने मृतकभक्त देने के लिए एक बकरा लाकर अपने शिष्यों को दिया और कहा—इसे ले जाकर नदी में स्नान करा लाओ, इसके गले में माला पह‌नाकर, इसके शरीर पर पाँचों उँगलियों से छापे लगाकर और अच्छी तरह सजाकर मेरे पास ले आओ। गुरु के आज्ञानुसार शिष्य लोग उस बकरे को नदी किनारे ले गए और वहाँ उसे स्नान कराकर और अच्छी तरह सजाकर खड़ा कर दिया। उस समय उस बकरे को अपने पूर्व जन्मों की सब बातों-का स्मरण हो आया और वह यह सोचकर हँस पड़ा कि आज ही मेरे सब दुःखों का अंत हो जाएगा। पर थोड़ी ही देर में वह फिर यह सोचकर रोने लगा कि मेरी हत्या करके अब यह ब्राह्मण भी वही दुःख भोगेगा, जो आज तक मैंने भोगे हैं। उसे इस प्रकार पहले हँसते और फिर रोते देखकर शिष्यों ने पूछा—तेरे इस प्रकार हँसने और फिर रोने का क्या कारण है? बकरे ने उत्तर दिया—तुम लोग पहले मुझे अपने गुरु के पास ले चलो; और तब वहीं उनके सामने मुझसे यह प्रश्न करना। 

    शिष्य लोग उस बकरे को लेकर गुरु के पास आए और नदी किनारे जो कुछ हुआ था, वह उन्होंने गुरु से कह सुनाया। इस पर उस ब्राह्मण ने स्वयं ही उस बकरे से उसके हँसने और रोने का कारण पूछा। बकरे को उस समय अपने पूर्व जन्म की सब बातों का स्मरण था। उसने कहा—हे ब्राह्मण, पूर्व जन्म में मैं भी तुम्हारे ही समान त्रिवेदज्ञ ब्राह्मण था। एक बार मैंने भी इसी प्रकार एक बकरे का वध करके मृतकभक्त दिया था। उसी पाप के फल स्वरूप मुझे चार सौ निन्यानबे बार बकरे का जन्म लेना पड़ा और हर बार अपना सिर कटाना पड़ा। यह मेरा पाँच सौवाँ और अंतिम जन्म है। मैं यह सोचकर प्रसन्न हुआ और हँसा था कि अब इस दुःख से सदा के लिए मेरा छुटकारा हो जाएगा। पर फिर मैंने सोचा कि मैं तो इस प्रकार पाँच सौ बार सिर कटा कटाकर सदा के लिए कष्ट से मुक्त हो रहा हैं। पर आपको मेरी हत्या करने के कारण ठीक इसी प्रकार पाँच सौ बार अपना सिर कटाना पड़ेगा। इसीलिए मुझे आप पर दया आई और मैं रोने लगा।

    बकरे की यह बात सुनकर ब्राह्मण ने कहा—अच्छा, तुम मत डरो; मैं तुम्हारी हत्या नहीं करूँगा। बकरा बोला—आप चाहे मुझे मारे और चाहे न मारें, पर आज मेरी जान नहीं बचेगी। ब्राह्मण ने कहा—नहीं, तुम किसी प्रकार की चिंता न करो। मैं तुम्हारे साथ रहकर तुम्हारी रक्षा करूँगा। बकरा बोला—महाराज, आपकी रक्षा मेरे किसी काम न आवेगी; क्योंकि मैंने जो पाप किया है, वह प्रबल है और आपकी शक्ति उसके सामने निर्बल है।

    इस प्रकार बातें होने पर ब्राह्मण ने उस बकरे को खोल दिया और अपने शिष्यों को साथ लेकर यह कहता हुआ उस बकरे के पीछे हो लिया कि देखें, आज कौन इसकी हत्या करता है। बकरा खुलते ही एक बड़े पत्थर पर चढ़कर सिर उठाकर पत्तियाँ आदि खाने लगा। ठीक उसी समय वहाँ बिजली गिरी जिससे उसका सिर धड़ से अलग हो गया।

    यह विलक्षण घटना देखकर वहाँ बहुत से लोग एकत्र हो गए। उस समय बोधिसत्व वहाँ वृक्ष-देवता के रूप में रहा करते थे। दैव शक्ति के प्रभाव से वे आकाश में वीरासन लगाकर बैठ गए। सब लोग चकित होकर उनकी ओर देखने लगे। बोधिसत्व अपने मन में सोचने लगे कि यदि अभागे मनुष्य इस दुष्कर्म का परिणाम जानते होते, तो वे कभी प्राणी हिंसा न करते। उन्होंने उपस्थित लोगों को मधुर स्वर में उपदेश दिया यदि जीव यह जानता होता कि हिंसा के कारण जन्म जन्मांतर में कितना कठोर दंड भोगना पड़ता है, तो वह कभी किसी जीव की हिंसा न करता। बोधिसत्व के इस प्रकार के उपदेशों मे सब लोगों ने सदा के लिए जीव की हिंसा करना छोड़ दिया। बोधिसत्व अपने कर्मों का फल भोगने के लिए दूसरे लोक में चले गए। वे सब लोग जब तक जीवित रहे, तब तक दान, धर्म आदि सत्कार्य करते रहे और मरने पर ब्रह्मलोक में गए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : जातक कथा-माला पहला भाग (पृष्ठ 29)
    • प्रकाशन : साहित्य-रत्नमाला कार्यालय

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए