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आने वाले कल का दावा है...

aane vale kal ka dava hai. . .

कमलेश भट्ट कमल

कमलेश भट्ट कमल

आने वाले कल का दावा है...

कमलेश भट्ट कमल

और अधिककमलेश भट्ट कमल

    आने वाले कल का दावा है अहसासों में,

    लेकिन वह हल ढूँढेंगे केवल इतिहासों में!

    ऊब उदासी और अकेलापन ही सच है तो,

    हम जीने के आदी हैं कितने संत्रासों में!

    संदेहों की दृष्टि धराशाई कर देती है,

    माया का घुन जब लग जाता है संन्यासों में!

    बाहर की दुनिया जैसे बिल्कुल बेमानी हो,

    यूँ भी, कुछ क़ैदी-से रहते हैं आवासों में!

    जैसे दिन-दिन मृत्यु निकट आती-जाती-सी हो,

    इतना विष घुलता रहता है दिन भर श्वासों में!

    स्रोत :
    • पुस्तक : ज्योति जगाए बैठे हैं (पृष्ठ 25)
    • रचनाकार : कमलेश भट्ट कमल
    • प्रकाशन : प्रकाशन संस्थान
    • संस्करण : 2022

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