ज़ुल्म ढाते रहो दुनियावालो
zulm dhate raho duniyawalo
हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
Harihar Prasad Choudhary ‘Nutan’
ज़ुल्म ढाते रहो दुनियावालो
zulm dhate raho duniyawalo
Harihar Prasad Choudhary ‘Nutan’
हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
और अधिकहरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
ज़ुल्म ढाते रहो दुनियावालो
जोर बाज़ू का सारा लगाकर
हम भी खे लेंगे सातो समुंदर
एक काग़ज़ की नैया बनाकर
जन्म हमको दिया आफ़तों ने
प्यार के साथ लहरों ने पाला
अपनी हिम्मत से तूफ़ान को भी
लेंगे दम हम किनारा लगाकर
तेरा हर इक नगीना पसीना
मेरा हर इक पसीना नगीना
तू न ख़ुश हो सके लूटकर जो
हमने पा ली ख़ुशी वह लुटाकर
शक्ति तेरी, इधर शील मेरा
रोशनी से अधिक ज्यों अँधेरा
फिर भी खोजेंगे हम अपनी मंज़िल
आरती का दिया झिलमिलाकर
तेरे सर को तो झुकने न देंगे
ये अफ़ीमों के महले-दोमहले
कुर्क के दिन, मेरी झोंपड़ी में
तुम घुसोगे ही सर को झुकाकर
झूठ कितना भी चिल्लाए, चीख़े
सच की चुप्पी बहुत क़ीमती है
हम हैं सूरज रहेंगे गगन से
इस अँधेरे का पर्दा हटाकर
- रचनाकार : हरिहर प्रसाद चौधरी ‘नूतन’
- प्रकाशन : हिन्दवी के लिए सतीश नूतन द्वारा चयनित
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