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जीने की वजह

jine ki wajah

प्रसून जोशी

अन्य

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प्रसून जोशी

जीने की वजह

प्रसून जोशी

और अधिकप्रसून जोशी

    मशाल में जगह दो

    मुझे जीने की वजह दो

    कह रही है मुझसे ज़िंदगी

    अस्तित्व ही मिटा दो

    मुझे आग में सजा दो

    कुलबुला रही है रोशनी

    चिंगारियाँ बनके मैं

    बिखरता जाऊँ हर कहीं

    पुर्ज़ा-पुर्ज़ा राख-राख हो

    मिटने वाली मेरी साख़ हो

    पुर्ज़ा-पुर्ज़ा राख-राख हो

    मिटने वाली मेरी साख़ हो

    धधकने वाली गर्म धूल-सा

    गिरूँ यहाँ-वहाँ-जहाँ

    खिलूँ मैं सुर्ख़ फूल-सा

    मैं आँच बन उड़ूँ-उड़ूँ

    लपट से मैं जुड़ूँ-जुड़ूँ

    शोलों-सा नारंगी लाल मैं

    मिल जाऊँ मैं मशाल में

    झूमूँ अग्नि ताल में

    सुलग चलूँ, भभक चलूँ

    धधक चलूँ, सजग चलूँ

    तेरी क़सम साँस-साँस ये कह रही

    तू छेड़ दे उम्मीद वाली बाँसुरी

    गूँजे-गूँजे हर तरफ़

    नया-नया-नया-नया-सा राग एक

    नई-नई सी रुत में खौलता-सा ख़्वाब हो

    अंगारों की तरह से सुलगता गुलाब हो

    पुर्ज़ा-पुर्ज़ा राख-राख हो

    मिटने वाली मेरी साख़ हो

    पुर्ज़ा-पुर्ज़ा राख-राख हो

    मिटने वाली मेरी साख हो

    धधकने वाली गर्म धूल-सा

    गिरूँ यहाँ-वहाँ-जहाँ

    खिलूँ मैं सुर्ख़ फूल-सा

    स्रोत :
    • पुस्तक : धूप के सिक्के (पृष्ठ 194)
    • रचनाकार : प्रसून जोशी
    • प्रकाशन : रूपा पब्लिकेशंस
    • संस्करण : 2016

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