Font by Mehr Nastaliq Web

झरना

jharna

जयशंकर प्रसाद

और अधिकजयशंकर प्रसाद

    मधुर है स्रोत मधुर है लहरी

    है उत्पात, छटा है छहरी

    मनोहर झरना।

    कठिन गिरि कहाँ विदारित करना

    बात कुछ छिपी हुई है गहरी

    मधुर है स्रोत मधुर है लहरी

    कल्पनातीत काल की घटना

    हृदय को लगी अचानक रटना

    देखकर झरना।

    प्रथम वर्षा से इसका झरना

    स्मरण ही रहा शैल का कटना

    कल्पनातीत काल की घटना

    कर गई प्लावित तन मन सारा

    एक दिन तब अपांग की धारा

    हृदय से झरना—

    बह चला, जैसे दृगजल ढरना

    प्रणय वन्या ने किया पसारा

    कर गई प्लावित तन-मन सारा

    प्रेम की पवित्र परछाईं में

    लालसा हरित विटप झाईं में

    बह चला झरना।

    तापमय जीवन शीतल करना

    सत्य यह तेरी सुघराई में

    प्रेम की पवित्र परछाईं में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : संपूर्ण काव्य (पृष्ठ 166)
    • रचनाकार : जयशंकर प्रसाद
    • प्रकाशन : चिंतन प्रकाशन
    • संस्करण : 2003

    संबंधित विषय

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए