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हमसे पीछे

hamse pichhe

नईम

नईम

हमसे पीछे

नईम

और अधिकनईम

    हमसे पीछे

    भला कौन है,

    अपने ओछे चाल-चलन में

    हमसे भला

    कौन है आगे,

    अपनों के ही—

    द्रोह-दलन में?

    अलग-अलग राँधे हैं—

    सब ही अपनी खिचड़ी,

    उड़ी जा रही भूख

    बुझी जाती है सिगड़ी।

    वामन धरती नाप रहे हैं

    धोखे से फिर एक चरण में।

    ये है चलित अदालत,

    तो वो रही कचहरी।

    न्याय-धरम की हवा

    आज जाने क्यों ठहरी?

    धार नहीं रह गई—

    तनिक भी,

    नैष्ठिक बापू के अनशन में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : लिख सकूँ तो— (पृष्ठ 71)
    • रचनाकार : नईम
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2003

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