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मछली की हँसी

machhli ki hansi

एक राजा था। उसकी रानी देखने में बहुत सुंदर थी। उनका एक ही बेटा था। विद्या-बुद्धि सब में वह बेजोड़ था। इसलिए राजा के दिन सुख से कट रहे थे। पर हर दिन एक जैसा तो नहीं होता न! एक दिन रानी सीढ़ी से नीचे गिर गई। सीने में चोट आई। राजवैद्य जी-जान से उनके इलाज में लग गए। पर कोई लाभ नहीं हुआ। रानी ने सदा के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं।

अब राजा रानी को याद कर हमेशा दुःखी रहने लगे। राजा की ऐसी हालत देखकर मंत्री-सभासदों ने राजा को समझा-बुझाकर फिर से विवाह कर लेने का अनुरोध किया। राजा उनकी बातों को टाल नहीं सके और दूसरा विवाह कर लिया। छोटी रानी भी बड़ी रानी की तरह ही ख़ूब सुंदर थी। वह पिता के घर से आते समय अपने साथ बहुत सारी दासियाँ लेकर आई थी। रानी और दासियों की देखभाल से राजा अपना दुःख भूलने लगे।

एक दिन राजा युवराज के साथ बैठकर बातचीत में मशग़ूल थे, उसी समय एक केवट ने एक बहुत बड़ी मछली लाकर राजा को भेंट की। राजा ने काफ़ी इनाम देकर उसे विदा किया और फिर बातचीत में लग गए। उसी समय मछली ज़ोर से हँस पड़ी। राजा मछली की हँसी का कारण समझ नहीं पाए और राजकुमार को उसका कारण ढूँढ़ने के लिए कहकर मछली को अपने नहाने के हौद में डाल दिया।

मछली क्यों हँसी, यह बात जानने के लिए राजकुमार ने काफ़ी कोशिश की, पर जान नहीं पाया। एक दिन वह मामूली युवक जैसी वेशभूषा में गाँव में घूमने निकला। कुछ दूर जाने पर देखा कि एक बूढ़ा पेड़ की छाँव के नीचे बैठा है और सिर पर छाता खोलकर रखा है। यह बात देखकर राजकुमार ने उसके पास पहुँचकर पेड़ के नीचे छाता खोलकर बैठने का कारण पूछा। बूढ़ा बोला, “बेटा, पेड़ से सूखे पत्ते या लकड़ी गिर सकती है। पेड़ पर बैठी चिड़िया बीट भी कर सकती है। इसलिए छाता खोलकर बैठा हूँ।”

राजकुमार ने सोचा कि यह बहुत बुद्धिमान है। मछली की हँसी का कारण पूछने पर शायद बता दे। ऐसा सोचकर उससे सारी बात बताने लगा। तभी बूढ़े ने तुरंत वहाँ से उठकर चलना शुरू कर दिया। राजकुमार भी उसके पीछे-पीछे चलने लगा। कुछ दूर जाने पर बूढ़ा बोला, “अपनी लड़की के लिए वर ढूँढ़ने गया था। पर वैसा योग्य वर नहीं पाया। अब सोच रहा हूँ कि तुम्हारे साथ अपनी लड़की का विवाह करा देना ठीक रहेगा। तुम हमारे घर चलो। अपनी लड़की और उसकी माँ से अपना निर्णय बताऊँगा।”

कुछ दूर जाने के बाद बूढ़े ने अपना खेत दिखाकर कहा, “यह सब मेरी ज़मीन है। मेरी लड़की से विवाह करोगे तो तुम्हें यह सब मिलेगा।” राजकुमार बोला, “ज़मीन तो सब अच्छी है, पर इनकी माँ कहाँ है?” बूढ़ा उसकी बात कुछ समझ नहीं पाया। सोचा यह पागल है क्या?

दोनों घर पहुँचे। बूढ़े ने घर के चारों तरफ़ राजकुमार को घुमाकर दिखाया। सब देख लेने के बाद राजकुमार बोला, “घर बहुत अच्छा है। पर उसका स्वामी होने से यह सुंदर नहीं लग रहा है।”

उसकी ऐसी बात सुनकर बूढ़ा ख़ूब नाराज़ हुआ। सोचा कि लड़का दिखने में ज़रूर सुंदर है, पर है बेवक़ूफ़। लड़की को बुलाकर कहा कि कुछ मुरमुरा और गुड़ युवक को देकर उसे विदा कर दो।

राजकुमार के चले जाने पर बुड्ढा अपनी बेटी से बोला, “बेटी! यह लड़का निहायत पागल है, नहीं तो ज़मीन देखकर कहता कि माँ नहीं है। घर देखने के बाद कहता क्या है कि उसका मालिक नहीं है। मैं सोच रहा था तेरा विवाह उसके साथ करवा दूँगा। पर इस बुद्धू को लेकर तू कैसे चल पाती!”

लड़की बहुत बुद्धिमति थी। वह बोली, “बाबा! उन्होंने कुछ भी ग़लत नहीं कहा है। ज़मीन की माँ है पानी और ज़मीन के पास तालाब या बाँध देखकर उन्होंने ऐसा कहा। घर का मालिक है बैठकखाना। हमारे घर में बैठकखाना होने से अतिथि घर के अंदर बैठते हैं और घर की सारी राज़ की बात जान जाते हैं। इसलिए उनकी बात ही सही है कि इस घर का स्वामी नहीं है।”

बूढ़ा बोला, “अरे ऐसी बात है! तब तो मुझसे बड़ी भारी ग़लती हो गई। जाता हूँ, उसे बुला लाता हूँ।” लड़की बोली, “आपको जाने की ज़रूरत नहीं है। वह अगर सच में बुद्धिमान होंगे तो मैंने उन्हें जो मुरमुरा और गुड़ की पोटली दी है, उसे खोलने पर वह अपने आप लौट आएँगे।

कुछ दूर जाने के बाद राजकुमार ने पोटली खोली तो देखा कि उसके अंदर एक ताज़ा गुलाब का फूल है और साथ में थोड़ा सा गोबर। सोच-सोचकर उसने इसका अर्थ ढूँढ़ निकाला। खिले फूल का अर्थ है ख़ुद वह लड़का। फूल देवता को चढ़ाया जाता है। लड़की ने फूल उसे दिया है यानी वह उसका देवता हुआ। और गोबर पवित्रता की निशानी है, इसका अर्थ है कि लड़की उसे अपने पति के रूप में पाना चाहती है।

यही सोचकर वह वापस लौट आया और उसका ख़ूब आदर-सत्कार किया गया। अब उसने अपना परिचय दिया और मछली के हँसने का कारण पूछा। लड़की बोली, “हँसी का रहस्य उसी राजमहल में है। वहाँ जाने पर मैं उस रहस्य को खोल पाऊँगी।”

राजा की अनुमति लेकर राजकुमार ने उस लड़की से विवाह कर लिया। अब किसान की लड़की राजा की बहू बनकर गई। दूसरे दिन लड़की ने राजकुमार को पाँच हाथ लंबा और दो हाथ गहरा गड्ढा खुदवाने के लिए कहा। गड्ढा खुद जाने के बाद सारे दासियों को उस गड्ढे को लाँघने का आदेश दिया, पर कोई भी उसे लाँघ नहीं सकी। आख़िर में छोटी रानी की सबसे विश्वस्त दासी उस गड्ढे को लाँघ गई। उसे राजसभा में लाकर जाँचा गया तो पता चला कि स्त्री के वेश में वह एक पुरुष था।

यह देखकर राजदरबार के लोग भौंचक रह गए। राजा ने बहू की तरफ़ चकित नज़रों से देखा तो बहू बोली, “महाराज इसी आदमी को मद्देनज़र रखते हुए मछली को लाया गया था। नई रानी की सहायता से इस आदमी ने आपको और राजकुमार को मारकर ख़ुद राजा बनने की योजना बनाई थी। इसलिए मछली ने अपनी हँसी के जरिए यह बता दिया कि आप जो कुछ भी कल्पना कर रहे हैं, वह पानी के बुलबुले की तरह फूट जाएँगे।

राजा ने तहक़ीक़ात करके जाना कि बात सच है। इसलिए नई रानी और उस आदमी को कठोर दंड दिया। उसके बाद राजकुमार के हाथों में राज्य का दायित्व सौंपकर राजा तपस्या करने वन में चले गए।

स्रोत :
  • पुस्तक : ओड़िशा की लोककथाएँ (पृष्ठ 83)
  • संपादक : महेंद्र कुमार मिश्र
  • प्रकाशन : राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, भारत
  • संस्करण : 2017
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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