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भोजपुरी लोकगीत : गोरी पिछुआरा के जाना छोड़ि द

bhojapuri lokgit ha gori pichhuara ke jana chhoDi d

रोचक तथ्य

संदर्भ—नायक का नायिका के रूप-सौंदर्य की प्रशंसा।

गोरी पिछुआरा के जाना छोड़ि द।।टेक।।

तोर बार जइसे काली नगिनिया,

गोरी अतरे के लगाना छोड़िद।।1।।

तोरि आँख जइसे आम के फाँकी,

गोरी सुरमा के लगाना छोड़ि द।।2।।

तोर दाँत जइसे अनार के दाना,

गोरी मिसिया के लगाना छोड़ दे।।3।।

एक पति पत्नी से कह रहा है—हे गौरवर्णी पत्नी! तुम घर के पिछवाड़े जाना छोड़ दो।

तुम्हारे बाल काली नागिन जैसे हैं, उनमें इत्र लगाना छोड़ दो (अन्यथा

लोग तुझ पर मोहित हो जाएँगे)।।1।।

तुम्हारी आँखें आम की फाँक के समान हैं, उनमें सुरमा लगाना छोड़ दो

(नहीं तो लोग तुम पर मुग्ध हो जाएँगे)।।2।।

तुम्हारे दाँत अनार के दाने जैसे हैं, उनमें मिस्सी का लगाना छोड़ दो (अन्यथा कामुक लोग तुम्हारे रूप पर मर मिटेंगे)।।3।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 136)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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