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कौरवी लोकगीत : हमने बुलाये सुथरे -सुथरे, मुण्डे-मुण्डे आये री

kaurwi lokgit ha hamne bulaye suthre suthre, munDe munDe aaye ri

रोचक तथ्य

संदर्भ—बरातियों पर व्यंग्य।

हमने बुलाये सुथरे -सुथरे, मुण्डे-मुण्डे आये री।

हमने बुलाये लम्बे-लम्बे, मोटे-मोटे आये री।।1।।

हमने बुलाये बड़े घरों के, ओच्छे-ओच्छे आये री।

हमने बुलाये गोरे-गोरे, काले-काले आये री।।2।।

हमने बुलाये हाथी के हौदे, टट्टू चढ़के आये री।

झाडू का तो चेंवर डुलाया, सींको का है सेहरा जी।।3।।

स्रोत :
  • पुस्तक : हिंदी के लोकगीत (पृष्ठ 380)
  • संपादक : महेशप्रताप नारायण अवस्थी
  • प्रकाशन : सत्यवती प्रज्ञालोक
  • संस्करण : 2002

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