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को रओ रावन कें पनदेवा

ko ra.o raavan ke.n pandeva

ईसुरी

ईसुरी

को रओ रावन कें पनदेवा

ईसुरी

और अधिकईसुरी

    को रओ रावन कें पनदेवा!

    बिना करें हरि सेवा!

    करुनासिंद करौ कुल भर खों, एक नाव कौ खेबा॥

    वासन लगे काग महलन में, चंबोदरे, परेबा॥

    ‘ईसुर’ नास मिटाउत पाउत, पाप करे कौ मेवा॥

    रावण के यहाँ पानी देने वाला कौन शेष रहा? भगवत सेवा करने का यह नतीजा हुआ। करुणासिंधु ने पूरे कुल को एक बार में पार लगा दिया। (लंका के) महलों में चमगादड़, कौए और पखेरू बसने लगे। अरे ईसुरी! प्रभु पापियों का विनाश कर देते है। पाप का फल भुगतना ही पड़ता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : ईसुरी की फागें (पृष्ठ 34)
    • संपादक : घनश्याम कश्यप
    • प्रकाशन : शब्दपीठ
    • संस्करण : 1995

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