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सब तीरथ गुरु के चरन

sab tirath guru ke charan

सहजोबाई

सहजोबाई

सब तीरथ गुरु के चरन

सहजोबाई

और अधिकसहजोबाई

    सब तीरथ गुरु के चरन, नितही परवी होय।

    सहजो चरणोदक लिये, पाप रहत नहिं कोय॥

    सहजो कहती हैं कि गुरुजी के चरणों में सारे तीर्थ मौजूद रहते हैं तथा उनकी सेवा करने से सदा पर्व का फल मिलता है। आशय यह है कि गुरु-चरणों की सेवा करना पुण्यदायी रहता है। सद्गुरु के चरणोदक लेने से कोई भी पाप शेष नहीं रहता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सहजप्रकाश (पृष्ठ 14)
    • रचनाकार : सहजोबाई
    • प्रकाशन : श्रीवेंकटेश्वर स्टीम् प्रेस, बंबई
    • संस्करण : 1922
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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