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परसुराम सतसंग सुख

parasuram satsang sukh

संत परशुरामदेव

संत परशुरामदेव

परसुराम सतसंग सुख

संत परशुरामदेव

और अधिकसंत परशुरामदेव

    परसुराम सतसंग सुख, और सकल दुख जान।

    निर्वैरी निरमल सदा, सुमिरन सील पिछान॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 277)
    • संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
    • रचनाकार : संत परशुरामदेव
    • प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
    • संस्करण : जनवरी 1955

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