अबिचल राज विभीषनहि
abichal raj wibhishanahi
अबिचल राज विभीषनहि, दीन्ह राम रघुनाथ।
अजहुँ बिराजत लंक पर, तुलसी सहित समाज॥
तुलसीदास कहते हैं कि रघुराज श्री राम ने विभीषण को अविचल राज्य दे दिया, इसी से वह आज भी अपने समाज (परिकर) सहित लंका के राज्यपद पर विराजमान हैं।
- पुस्तक : दोहावली (पृष्ठ 59)
- रचनाकार : तुलसीदास
- प्रकाशन : मोतीलाल जालान गीताप्रेस गोरखपुर
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