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हमें स्याम ने मग जातन रंग बोरी

hamein syam ne mag jatan rang bori

पजनेश

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हमें स्याम ने मग जातन रंग बोरी

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    हमें स्याम ने मग जातन रंग बोरी, मोसें कीनी लला बरज़ोरी।

    केसर और कपूर अरगजा, मली कपोलन रोरी।

    कान्ह अचानक बन में मिल गये, गै बईंयाँ झकझोरी।

    सारी किनारी जरतारी फारी, मोतिन की लट टोरी।

    कर पकरत मुख चुंबत मोहन, निरखत ग्वालन गोरी।

    बाबा पजन कौ नाथ स्यामलिया, खेली झलाझल होरी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 93)
    • संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
    • रचनाकार : पजनेश
    • प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
    • संस्करण : 2000

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