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प्यारी लगै डील की छोटी

pyaarii lagai Diil kii chhoTii

रसिया

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प्यारी लगै डील की छोटी

रसिया

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    प्यारी लगै डील की छोटी, उठी जुबन की गोटी।

    पटियाँ पारें माँग सँवारें, गुबी डरी है चोटी।

    कई इक संत पछारीं फिर रये, खोलें फिरत लंगोटी।

    रसिया कहत धन्य है उनको, जिनके संगै लोटी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : बुंदेलखंड की फागें (पृष्ठ 91)
    • संपादक : अयोध्या प्रसाद गुप्त 'कुमुद'
    • रचनाकार : रसिया
    • प्रकाशन : उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी
    • संस्करण : 2000

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