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पढ़ने के तरीक़े

एक पुस्तक को पढ़ने के कितने तरीक़े हो सकते हैं! आइए देखें :

• एक तरीक़ा तो वह है जो मैं किसी भी नई पुस्तक को हाथ में लेते ही शुरू कर देता हूँ। उसे पेज-दर-पेज पलटते जाना। साथ मे उसके सारे अध्यायों के शीर्षकों, उपशीर्षकों को और उनके कैप्शंस को पढ़ते जाना।

• दूसरा तरीक़ा उसे उपन्यास की तरह पढ़ना। बहुत तेजी से। बस उसके विषय या कथा-सूत्र को पकड़कर।

• तीसरा तरीक़ा उसे धीरे-धीरे रस लेते हुए पढ़ना। उसकी भाषा, शिल्प, विचार, तथ्य आदि का आनंद लेते हुए।

• चौथा तरीक़ा उसे एक पाठ्य-पुस्तक की तरह पढ़ा जाए। उसका अध्ययन करते हुए। नोट्स लेते हुए।

• पाँचवाँ तरीक़ा उसे एक रिफ़रेंस बुक की तरह।

• छठवाँ तरीक़ा ब्राउसिंग की तरह, जहाँ अच्छा लगा पढ़ लिया, जहाँ रुचि नहीं जमी आगे बढ़ गए।

• सातवाँ तरीका हाइपरटेक्स्ट की तरह...

• तरीक़े अनगिनत हैं... 

बात यहाँ तक आई है, तो एक तरीक़ा यह भी है कि उसे बस बुक-शेल्फ़ में सजा दिया जाए। उसको निहारकर ही समझ लिया जाए कि वह नज़रों के सामने है तो पढ़ ली जाएगी कभी ना कभी!

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