Font by Mehr Nastaliq Web

पढ़ने के तरीक़े

एक पुस्तक को पढ़ने के कितने तरीक़े हो सकते हैं! आइए देखें :

• एक तरीक़ा तो वह है जो मैं किसी भी नई पुस्तक को हाथ में लेते ही शुरू कर देता हूँ। उसे पेज-दर-पेज पलटते जाना। साथ मे उसके सारे अध्यायों के शीर्षकों, उपशीर्षकों को और उनके कैप्शंस को पढ़ते जाना।

• दूसरा तरीक़ा उसे उपन्यास की तरह पढ़ना। बहुत तेजी से। बस उसके विषय या कथा-सूत्र को पकड़कर।

• तीसरा तरीक़ा उसे धीरे-धीरे रस लेते हुए पढ़ना। उसकी भाषा, शिल्प, विचार, तथ्य आदि का आनंद लेते हुए।

• चौथा तरीक़ा उसे एक पाठ्य-पुस्तक की तरह पढ़ा जाए। उसका अध्ययन करते हुए। नोट्स लेते हुए।

• पाँचवाँ तरीक़ा उसे एक रिफ़रेंस बुक की तरह।

• छठवाँ तरीक़ा ब्राउसिंग की तरह, जहाँ अच्छा लगा पढ़ लिया, जहाँ रुचि नहीं जमी आगे बढ़ गए।

• सातवाँ तरीका हाइपरटेक्स्ट की तरह...

• तरीक़े अनगिनत हैं... 

बात यहाँ तक आई है, तो एक तरीक़ा यह भी है कि उसे बस बुक-शेल्फ़ में सजा दिया जाए। उसको निहारकर ही समझ लिया जाए कि वह नज़रों के सामने है तो पढ़ ली जाएगी कभी ना कभी!

'बेला' की नई पोस्ट्स पाने के लिए हमें सब्सक्राइब कीजिए

Incorrect email address

कृपया अधिसूचना से संबंधित जानकारी की जाँच करें

आपके सब्सक्राइब के लिए धन्यवाद

हम आपसे शीघ्र ही जुड़ेंगे

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

24 मार्च 2025

“असली पुरस्कार तो आप लोग हैं”

समादृत कवि-कथाकार विनोद कुमार शुक्ल 59वें ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किए गए हैं। ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों में से एक है। वर्ष 1961 में इस पुरस्कार की स्थापना ह

09 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’

09 मार्च 2025

रविवासरीय : 3.0 : ‘चारों ओर अब फूल ही फूल हैं, क्या गिनते हो दाग़ों को...’

• इधर एक वक़्त बाद विनोद कुमार शुक्ल [विकुशु] की तरफ़ लौटना हुआ। उनकी कविताओं के नवीनतम संग्रह ‘केवल जड़ें हैं’ और उन पर एकाग्र वृत्तचित्र ‘चार फूल हैं और दुनिया है’ से गुज़रना हुआ। गुज़रकर फिर लौटना हुआ।

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

26 मार्च 2025

प्रेम, लेखन, परिवार, मोह की 'एक कहानी यह भी'

साल 2006 में प्रकाशित ‘एक कहानी यह भी’ मन्नू भंडारी की प्रसिद्ध आत्मकथा है, लेकिन मन्नू भंडारी इसे आत्मकथा नहीं मानती थीं। वह अपनी आत्मकथा के स्पष्टीकरण में स्पष्ट तौर पर लिखती हैं—‘‘यह मेरी आत्मकथा

19 मार्च 2025

व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!

19 मार्च 2025

व्यंग्य : अश्लील है समय! समय है अश्लील!

कुछ रोज़ पूर्व एक सज्जन व्यक्ति को मैंने कहते सुना, “रणवीर अल्लाहबादिया और समय रैना अश्लील हैं, क्योंकि वे दोनों अगम्यगमन (इन्सेस्ट) अथवा कौटुंबिक व्यभिचार पर मज़ाक़ करते हैं।” यह कहने वाले व्यक्ति का

10 मार्च 2025

‘गुनाहों का देवता’ से ‘रेत की मछली’ तक

10 मार्च 2025

‘गुनाहों का देवता’ से ‘रेत की मछली’ तक

हुए कुछ रोज़ किसी मित्र ने एक फ़ेसबुक लिंक भेजा। किसने भेजा यह तक याद नहीं। लिंक खोलने पर एक लंबा आलेख था—‘गुनाहों का देवता’, धर्मवीर भारती के कालजयी उपन्यास की धज्जियाँ उड़ाता हुआ, चन्दर और उसके चरित

बेला लेटेस्ट