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'हिन्दवी' की नई प्रस्तुति : साहित्य और संस्कृति की घड़ी : ‘बेला’

‘हिन्दवी’ इस तरह की कोशिशों में यक़ीन करती आई है कि वह हो चुके को ख़ूबसूरत ढंग से सहेज ले। लेकिन इसके साथ-साथ हमारी मंशा यह भी रही है कि हम हो रहे को भी दर्ज करें। इस सिलसिले में हमने अपनी शुरुआत में ही ‘हिन्दवी ब्लॉग’ नाम के स्पेस को तैयार किया था। इस स्पेस को आपका भरपूर प्यार, सहयोग और समर्थन मिला। लेकिन हम इस स्पेस को और ज़्यादा ताज़ा और साहित्यिक हलचलों से भरा हुआ बनाना चाहते रहे हैं। यह इच्छा ‘हिन्दवी ब्लॉग’ के ज़रिए पूरी तरह रंग-रूप नहीं ले पा रही थी। यह कैसे हो, हम इस पर सभी स्तरों पर बराबर सोचते रहे हैं। इसका ही नतीजा है हमारी यह नई पेशकश—‘बेला’।

‘बेला’—एक ऐसा अदबी ठिकाना है; जहाँ सिर्फ़ अदब ही नहीं, आर्ट और कल्चर और ज़ुबानों में रोज़-ब-रोज़ क्या हुआ, हो रहा और होने वाला है... इसकी इंदराजी होगी। इस मायने में ‘बेला’ एक ऐसी घड़ी है जिसे आप आर्ट एंड कल्चर का वक़्त जानने के लिए जब चाहें देख सकेंगे। 

तो आइए हमारे साथ इस बेला ‘बेला’ की शुरुआत करते हैं...

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