सौरभ अनंत की संपूर्ण रचनाएँ
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अक्टूबर हर पेड़ का सपना है
वह चलते हुए अपने पाँव सड़क पर पड़ी सूखी पत्तियों से बचा-बचा कर रख रही थी। यूँ चलते हुए उसका ध्यान थोड़ा मेरी बातों में था, थोड़ा सूखी पत्तियों में और
By सौरभ अनंत | 11 अक्तूबर 2023
जनवरी एक धुँध भरा सपना है
मुझे अक्सर सुबह-सुबह एक सपना आता है। साल का आख़िरी दिन है। मेरे एक हाथ में छोटा-सा बैग है और दूसरे हाथ से मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ रखा है। हम भाग रहे ह
By सौरभ अनंत | 01 जनवरी 2023
सफ़र में होना क्या होता है?
उस दिन पहाड़ पर बादल तेज़ हवाओं के साथ बह रहे थे। वह बादलों की ओर देखकर शायद कोई प्रार्थना कर रही थी। मैंने कहा, “...सब आसमान की तरफ़ देखकर प्रार्थनाए
By सौरभ अनंत | 10 दिसम्बर 2023