आधुनिक मनोविज्ञान मौन ही रहा है प्रेम के विषय में, किन्तु कभी कुछ उससे कहलवा लिया गया है तो वह भी इस लोक-विश्वास से सहमत होता प्रतीत हुआ है कि 'असंभव' के आयाम में ही होता है प्रेम-रूपी व्यायाम। जो एक-दूसरे से प्यार करते हैं वे लौकिक अर्थ में एक-दूजे के लिए बने हुए होते नहीं।