काका कालेलकर के यात्रा वृत्तांत
बोधि गया
बोधिगया कोई ऐसा-वैसा तीर्थ नहीं है। बोधिगया का नाम सुनते ही माथा भक्ति से झुक जाता है। पुराने ज़माने में जिस स्थान को 'उस्वेला' कहते थे। आज से ढाई हज़ार वर्ष पहले नेरंजरा नदी के तीर पर इस वन में एक पीपल के पेड़ के नीचे एक युवक बैठा था। उसका शरीर सूखकर