काका कालेलकर के यात्रा वृत्तांत
प्रयागराज और अमरपुरी वाराणसी
बैसाख का महीना था। गर्मी सख़्त पड़ रही थी। हमारी गाड़ी मध्य हिंदुस्तान के विस्तीर्ण प्रदेश में से दौड़ने लगी। डिब्बे इतने गर्म हो गए थे, मानो डबल रोटी की भट्टियाँ हों। हर एक स्टेशन पर पानी पीने पर भी गला सूखा जाता था। जी बेचैन रहता था। फिर भी, इक चीज़