हिंदी के साहित्य-सेवियों को पृथिवी-पुत्र बनना चाहिए। वे सच्चे हृदय से यह कह और अनुभव कर सकें—
माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः (अथर्ववेद)
यह भूमि माता है, मैं पृथिवी का पुत्र हूँ।
लेखकों में यह ज
वासुदेवशरण अग्रवाल
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