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कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1933 -2014

समादृत साहित्यकार। पटकथा लेखक। ‘मुरदा-घर’ के उपन्यास के लिए लोकप्रिय।

1932 -1978

सुपरिचित गुजराती कवि और अनुवादक। मृत्योपरांत साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित।

1936

सातवें दशक की प्रगतिशील धारा के प्रमुख कथाकार। ‘पहल’ पत्रिका के संपादक के रूप में समादृत।

1905 -1988

प्रेमचंदोत्तर युग के समादृत कथाकार, उपन्यासकार और निबंधकार। गद्य में मनोविश्लेषणात्मक परंपरा के प्रवर्तक।

1882 -1941

सुप्रसिद्ध आयरिश उपन्यासकार, कवि और समालोचक। अवाँ-गार्द आंदोलन में योगदान के लिए उल्लेखनीय।

1889 -1937

छायावादी दौर के चार स्तंभों में से एक। समादृत कवि-कथाकार और नाटककार।

1905 -1980

समादृत फ्रेंच लेखक, समालोचक, सामाजिक-राजनीतिक अभिकर्ता और अस्तित्ववादी दार्शनिक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित, लेकिन इसे अस्वीकृत किया।

1957

समकालीन सुपरिचित बांग्लादेशी लेखिका।

1867 -1933

समादृत अँग्रेज़ी उपन्यासकार-नाटककार। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

1922 -2010

समादृत पुर्तगाली लेखक, उपन्यासकार और समालोचक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

1865 -1936

ब्रिटिश लेखक। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित।

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