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कहानियाँ

कहानी गद्य की सर्वाधिक लोकप्रिय विधा है। यह मानव-सभ्यता के आरंभ से ही किसी न किसी रूप में विद्यमान रही है। भारतीय परंपरा में इसका मूल ‘कथा’ में है। आधुनिक संदर्भों में इसका अभिप्राय अँग्रेज़ी के ‘शॉर्ट स्टोरी मूवमेंट’ से प्रभावित कहानी-परंपरा से है। इसका मुख्य गुण यथार्थवादी दृष्टिकोण है। हिंदी में कहानी का आरंभ अनूदित कहानियों से हुआ, फिर ‘सरस्वती’ पत्रिका के प्रकाशन के साथ मौलिक कहानियों का प्रसार बढ़ा। हिंदी कहानी के विकास में प्रेमचंद का अप्रतिम योगदान माना जाता है। प्रेमचंदोत्तर युग में जैनेंद्र, यशपाल सरीखे कहानीकारों ने नई परंपराओं का विस्तार किया। स्वातंत्र्योत्तर युग में नए वादों, विमर्शों और आंदोलन के साथ हिंदी कहानी और समृद्ध हुई।

1888 -1923

न्यूज़ीलैंड की सुप्रसिद्ध कवयित्री, कथाकार और समालोचक। आधुनिकतावादी आंदोलन में योगदान के लिए उल्लेखनीय।

1965

सुपरिचित कथाकार। तीन कहानी-संग्रह और एक उपन्यास प्रकाशित।

1885 -1952

द्विवेदीयुगीन निबंधकार और अनुरचनाकर। विदेशी व्यक्तित्वों के जीवनी-लेखक के रूप में भी योगदान।

1927 -2020

समादृत साहित्यकार। विलक्षण कथाकारिता और डायरी-लेखन के लोकप्रिय।

1925 -2019

समादृत कहानीकार। साहित्य अकादेमी और भारतीय ज्ञानपीठ से सम्मानित।

1935 -2015

समादृत कथाकार।

1890 -1938

सुप्रसिद्ध चेक लेखक, नाटककार, समालोचक और पत्रकार। 'साइंस फ़िक्शन' लेखन के लिए उल्लेखनीय।

1865

द्विवेदी युग के प्रमुख गद्यकार। ऐतिहासिक उपन्यास लेखन के प्रवर्तक के रूप में उल्लेखनीय।

1929 -2009

सुपरिचित ब्रिटिश कथाकार-उपन्यासकार और स्तंभकार। विभिन्न प्रसिद्ध ब्रिटिश टेली-सीरीज़ के लिए लेखन।