Font by Mehr Nastaliq Web

दोस्त की पोशाक

dost ki poshak

अज्ञात

अज्ञात

दोस्त की पोशाक

अज्ञात

और अधिकअज्ञात

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा चौथी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    एक बार नसीरूद्दीन अपने बहुत पुराने दोस्त जमाल साहब से मिले। अपने पुराने दोस्त से मिलकर वे बड़े ख़ुश हुए। कुछ देर गपशप करने के बाद उन्होंने कहा, “चलो दोस्त, मोहल्ले में घूम आएँ।”

    जमाल साहब ने जाने से मना कर दिया और कहा, “अपनी इस मामूली सी पोशाक में मैं लोगों से नहीं मिल सकता।”

    नसीरूद्दीन ने कहा, “बस इतनी सी बात!”

    नसीरूद्दीन तुरंत उनके लिए अपनी एक भड़कीली अचकन निकाल कर लाए और कहा, “इसे पहन लो। इसमें तुम ख़ूब अच्छे लगोगे। सब देखते रह जाएँगे।”

    बनठन कर दोनों घूमने निकले। दोस्त को लेकर नसीरूद्दीन पड़ोसी के घर गए। नसीरूद्दीन ने पड़ोसी से कहा, “ये हैं मेरे ख़ास दोस्त, जमाल साहब। आज कई सालों बाद इनसे मुलाक़ात हुई। वैसे जो अचकन इन्होंने पहन रखी है, वह मेरी है।”

    यह सुनकर जमाल साहब पर तो मानो घड़ों पानी पड़ गया। बाहर निकलते ही मुँह बनाकर उन्होंने नसीरूद्दीन से कहा, “तुम्हारी कैसी अक़्ल है! क्या यह बताना ज़रूरी था कि यह अचकन तुम्हारी है? तुम्हारा पड़ोसी सोच रहा होगा कि मेरे पास अपने कपड़े हैं ही नहीं।”

    नसीरूद्दीन ने माफ़ी माँगते हुए कहा, “ग़लती हो गई। अब ऐसा नहीं कहूँगा।”

    अब नसीरूद्दीन उन्हें हुसैन साहब से मिलवाने ले गए। हुसैन साहब ने गर्मजोशी से उनका सत्कार किया। जब जमाल साहब के बारे में पूछा तो नसीरूद्दीन ने कहा, “जमाल साहब मेरे पुराने दोस्त हैं और इन्होंने जो अचकन पहनी है वह इनकी अपनी ही है।”

    जमाल साहब फिर नाराज़ हो गए। बाहर आकर बोले, “झूठ बोलने को किसने कहा था तुमसे?”

    “क्यों?” नसीरूद्दीन ने कहा, “तुमने जैसा चाहा, मैंने वैसा ही तो कहा।”

    “पोशाक की बात कहे बिना काम नहीं चलता क्या? उसके बारे में कहना ही अच्छा है”, जमाल साहब ने समझाया।

    जमाल साहब को लेकर नसीरूद्दीन आगे बढ़े। तभी एक अन्य पड़ोसी मिल गए। नसीरूद्दीन ने जमाल साहब का परिचय उनसे करवाया, “मैं आपका परिचय अपने पुराने दोस्त से करवा दूँ। यह हैं जमाल साहब और इन्होंने जो अचकन पहनी है उसके बारे में मैं चुप ही रहूँ तो अच्छा है।”

    स्रोत :
    • पुस्तक : रिमझिम (पृष्ठ 35)
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    जश्न-ए-रेख़्ता | 13-14-15 दिसम्बर 2024 - जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम, गेट नंबर 1, नई दिल्ली

    टिकट ख़रीदिए