आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ek aur ajnabi ebooks"
Pad के संबंधित परिणाम "ek aur ajnabi ebooks"
की हम साँझक एक सरि तारा
की हम साँझक एक सरि तारा भादव चौठिक ससी।इथि दुहु माझ कोन मोर आनन जे पहु हेरसि न हँसी॥
विद्यापति
ठाडी एक बात सुनि धीरी
ठाडी एक बात सुनि धीरी।भोर हितें कहा मटुकी लियें डोलति ब्रज-वासिनी अहीरी॥
चतुर्भुजदास
यह तन इक दिन होय जु छारा
यह तन इक दिन होय जु छारा।नाम, निशान न रहि है रंचहु भूलि जायगो सब संसारा।
जुगलप्रिया
मधुकर! करहु और कछु बात
मधुकर! करहु और कछु बात।मोहन भये मधुपुरी-प्रीतम, तातें हमें न सुहात॥
गोस्वामी हरिराय
हम तुम पिया एक से दोऊ
हम तुम पिया एक से दोऊ।मानौ बिलग न नेक सांवरे घट बढ़िकै नहिं कोऊ॥
भारतेंदु हरिश्चंद्र
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे
मेरा तेरा मनुओं कैसे इक होई रे।मैं कहता हौं आँखिन देखी, तू कहता कागद की लेखी।
कबीर
तनि एक मनुआं धरा तूं धीर
तनि एक मनुआं धरा तूं धीर॥टेक॥पाँच सखी आइल मेरो अंगना, पांचों का हथवा में पाँच-पाँच तीर॥
संत शिवनारायण
जमुना सी नाहिं कोऊ और दाता
गोविंद स्वामी
आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत है
आज नाथ एक बर्त्त माँहि सुख लागत हे।तोहें सिव धरि नट वेष कि डमरू बजाएब हे॥
विद्यापति
उर में माखन-चोर गड़े
को वसुदेव, देवकी है को, ना जानै औ बूझैं।सूर स्यामसुंदर बिनु देखे और न कोऊ सूझैं॥
सूरदास
उर में घाव, रूप सों सैंकै
उर में घाव, रूप सों सैंकै, हित की सेज बिछावै।दृग-डोरे सुइर्या बर-बरुनी, टाँके ठीक लगावै।