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झउआ के फूल
झउआ के फूल श्वेत लाल', वाणी यह मेरे मुँह से कढ़ी,ऊषा और प्रात प्रतीक नए दिन के री सखी!'
मदन वात्स्यायन
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साँकर करन फूल की झूमें
साँकर करन फूल की झूमें, गोरी को मों चूमें।झुक-झुक परत गिरत आनन पै, लेत चलत में लूमें।
गंगाधर
चंपा के फूल
जो तमाम हरियाली पर गिरकर भी कोई फूल न खिला सकीचंपा के फूलों की पंखुड़ियाँ सहलाता हूँ