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दीवाली रा दीया दीठा
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ओ म्हारा मनड़े रा ठाकुर
ओ म्हारा मनड़े रा ठाकुर, गोपीनाथ दयाल।ओ म्हारा कुंजबिहारी, मो संग मुरधर चाल॥
रानाबाई
धूलि धूम अरु मेघ करि
धूलि धूम अरु मेघ करि, दीसै मलिनाकाश।सुन्दर मलिन शरीर संग, आतम शुद्ध प्रकाश॥
सुंदरदास
सुण रे क़ाज़ी सुण रे मुल्ला
सुण रे क़ाज़ी सुण रे मुल्ला, सुणियो लोग लुगाई।नर निरहारी एकलवाई, जिन यो रा फरमाई॥
जांभोजी
धूलि-मंदिर
भजन-पूजन साधना-आराधना, सब-कुछ पड़ा रहेअरे, देवालय का द्वार बंद किए क्यों पड़ा है!
रवींद्रनाथ टैगोर
धौला कुआँ
शचींद्र आर्य
समझि देखि मन मेरा रे
समझि देखि मन मेरा रे!या जग मांहि जागि हम देख्या, सगा न कोई तेरा रे॥
हरिदास निरंजनी
पूरै गुरु री आलंग कर प्राणी
जसनाथ
देखो भाव भगति री बातां
अपणै भाव सूं बंधन दरसै,गुण गोविन्द रा गावौ।अपणै भाव सूं भगति कीजै,इण विध सूरत लगावौ॥
बाबा रामदेव
अब जानि मोहि मारो नंदनंदन
अब जानि मोहि मारो नंदनंदन हौं ब्याकुल भई भारी।कहत ही रहत, कयौ नहिं मानत देखे नये खिलारी॥