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सीस पगा न झगा तन पै

sees paga na jhaga tan pai

नरोत्तमदास

नरोत्तमदास

सीस पगा न झगा तन पै

नरोत्तमदास

और अधिकनरोत्तमदास

    सीस पगा झगा तन पै, प्रभू! जानै को आहि! बसै केहि ग्रामा।

    धोती फटी-सी लटी-दुपटी, अरु पाँय उपानह की नहिं सामा॥

    द्वार खरो द्विज दुर्बल एक, रह्यो चकि सों बसुधा अभिरामा।

    पूछत दीनदयाल को धाम, बतावत आपनो नाम सुदामा॥

    हे प्रभु! द्वार पर एक बहुत दुबला-पतला ब्राह्मण खड़ा है। उसके माथे पर पगड़ी है, देह पर कुर्ता। जाने कौन है, कहाँ घर है? वह एक फटी-पुरानी धोती पहने है। उसके पैरों से जूते भी नहीं हैं। बड़ी देर से वह यहाँ का वैभव देखकर चकित हो रहा है। वह आपके महलों का पता पूछ रहा है और अपना नाम ‘सुदामा' बताता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सुदामा-चरित (पृष्ठ 45)
    • संपादक : मोहनलाल 'रत्नाकार'
    • रचनाकार : नरोत्तमदास
    • प्रकाशन : ऋषभरचण जैन एवं सन्तति, नई दिल्ली-2

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