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मान की चाह चितै रसलीन सो

man ki chah chitai raslin so

रसलीन

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मान की चाह चितै रसलीन सो

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और अधिकरसलीन

    मान की चाह चितै रसलीन सो रूसी प्रिया तजि संग लला को।

    भौहें मरोरि तरेरि के तेवर न्हारि रही पग के अँगुठा को।

    कोप के भाव सभै लखिए तऊ देत सुभाव कहे यह वाको।

    टेढ़े भए पिर सो सब अंग पै सूधो रहो मन एक तिया को॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : हिंदी काव्य गंगा, प्रथम भाग (पृष्ठ 266)
    • संपादक : सुधाकर पांडेय
    • रचनाकार : रसलीन
    • प्रकाशन : नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणसी
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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