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किंकिंन कंकन कान मिलै बर

kinkinn kankan kan milai bar

आलम

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किंकिंन कंकन कान मिलै बर

आलम

और अधिकआलम

    किंकिंन कंकन कान मिलै बर दादुर झींगुर की झनकारहि।

    भूपन की मनि एक भई जुगनू वर की मनि जोनि अपारहि।

    ‘आलम’ कामिनि को तन कुंदन जाइ मिल्यो जग बीजु उजारहि।

    काम के त्रासनि स्याम निसा बर बैरी सहाइ भये अभिसारहि॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : आलम-केलि (पृष्ठ 144)
    • संपादक : भगवानदीन
    • रचनाकार : आलम
    • प्रकाशन : उमाशंकर मेहता
    • संस्करण : 1922

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