जब ते अँगरेज़ी पढ़ी तब ते
jab te angrezi paDhi tab te
पंडित भैरवप्रसाद वाजपेयी 'विशाल'
Bhairavprasad Vajpeyi 'vishal'
जब ते अँगरेज़ी पढ़ी तब ते
jab te angrezi paDhi tab te
Bhairavprasad Vajpeyi 'vishal'
पंडित भैरवप्रसाद वाजपेयी 'विशाल'
और अधिकपंडित भैरवप्रसाद वाजपेयी 'विशाल'
जब ते अँगरेज़ी पढ़ी तब ते तुम पै हमरो बिसवास नहीं।
तुम हो कि नहीं यह सोचो करैं परमान मिले परकास नहीं॥
अनजाने न होत सनेह विशाल सनेह बिना अभिलाष नहीं।
तेहि कारन सों शिव जू हमको तरिबे की रही कछु आस नहीं॥
- पुस्तक : साहित्य प्रभाकर (पृष्ठ 521)
- संपादक : महालचंद बयेद
- रचनाकार : भैरवप्रसाद वाजपेयी 'विशाल'
- प्रकाशन : ओसवाल प्रेस कलकत्ता
- संस्करण : 1937
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