चोर चंडाल चमार कहै और कोऊ
chor chanDal chamar kahai aur kou
चोर चंडाल चमार कहै और कोऊ, कहै हरिदास है भाई।
कोऊ कहै यह तो नारि लुभानो, कोऊ कहै माया रति आई॥
निंद करै ता से निंद करैये, अस्तुति को तो न मनावन जाई।
जो हम हैं हरि जानत हैं, अब रैन दिवस उनकौ गुन गाई॥
मुझे कोई चोर कहता है, कोई भंगी, कोई चमार और कोई कहता है कि भाई, यह तो भगवतभक्त है। कोई कहता है कि यह तो स्त्री का मोही है। कोई कहता है कि यह माया में डूबा है। जो मेरी निंदा करता है, उसको धन्यवाद देने नहीं जाता हूँ। मैं जो हूँ वह हरि जानता है। अब मैं रात-दिन उसी का गुण गाता हूँ।
- पुस्तक : पलटू साहेब की बानी
- संपादक : अभिलाषा दास
- रचनाकार : पलटू
- प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
- संस्करण : 2012
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