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भूख लगे तब देत है भोजन

bhookh lage tab det hai bhojan

पद्माकर

पद्माकर

भूख लगे तब देत है भोजन

पद्माकर

और अधिकपद्माकर

    भूख लगे तब देत है भोजन, प्यास लगै तो पियावन पाने।

    त्यों ‘पद्माकर’ पीर हरै को, सुबीर बड़े विरदैत बखाने।

    है हम ही में हमारौ महाप्रभु, राम इतै पै मैं पहिचाने।

    जैसे विचित्र सुपत्रन में लिखे, बेद भेद पुस्तक जानै॥

    वह ईश्वर भूख लगने पर हमें भोजन देता है और प्यास लगने पर पीने को पानी देता है। इसलिए पद्माकर कहते हैं कि उनकी स्तुति करने वाले उन्हें भक्तों के कष्टों को दूर करने में बड़े वीर बताते हैं। वह ईश्वर, महाप्रभु राम हमारा है और हम में ही विद्यमान है, इतने पर भी हम उनको पहचानते नहीं है। जिस प्रकार विचित्र पन्नों में लिखे हुए वेदों के रहस्य को वेद की पुस्तक नहीं जानती एवं समझती है, उसी प्रकार हम भी हम में निरंतर विद्यमान श्रीराम को नहीं पहचानते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : पद्मावत पंचामृत (पृष्ठ 226)
    • संपादक : विश्वनाथप्रसाद मिश्र
    • रचनाकार : पद्माकर
    • प्रकाशन : श्री रामरत्न पुस्तक भवन, काशी
    • संस्करण : 1992

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