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भागै सागै भाम

bhagai sagai bham

दुरसा आढ़ा

दुरसा आढ़ा

भागै सागै भाम

दुरसा आढ़ा

और अधिकदुरसा आढ़ा

    भागै सागै भाम, अम्रत लागै ऊमस।

    अकबर तळ आराम, पटकै जहर प्रतासी॥

    महाराणा अपनी स्त्री के सहित भागते-फिरते हैं और गूलर के फल उनको अमृत के समान मीठे लगते हैं। परंतु अकबर की अधीनता में सुखपूर्वक रहने को वे ज़हर समझते हैं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : डिंगल में वीरस (पृष्ठ 57)
    • संपादक : मोतीलाल मेनारिया
    • रचनाकार : दुरसा आढ़ा
    • प्रकाशन : हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग
    • संस्करण : 1944

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