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मन-मन धुन से भक्ति करो री

man man dhun se bhakti karo ri

संत सालिगराम

संत सालिगराम

मन-मन धुन से भक्ति करो री

संत सालिगराम

और अधिकसंत सालिगराम

    मन-मन धुन से भक्ति करो री।

    कोरी भक्ति काम नहिं आवे, याते हिये में प्रेम भरो री॥

    परम पुरुष राधास्वामी चरनन में, सतसंग में प्रीत धरो री।

    दया करें गुरु भेद बतावें, तब धुन संग सुरत अधर चढ़ो री॥

    दीन ग़रीबी धार हिये में, उमंग-उमंग गुरु चरन पड़ो री।

    राधास्वामी मेहर करें अब अपनी, भव सागर से सहज तरो री॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 355)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत सालिगराम
    • प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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