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गुरु घाट चलो मन भाई

guru ghat chalo man bhai

संत शिवदयाल सिंह

संत शिवदयाल सिंह

गुरु घाट चलो मन भाई

संत शिवदयाल सिंह

और अधिकसंत शिवदयाल सिंह

    गुरु घाट चलो मन भाई, सुरत चदरिया लेव धुवाई।

    सेवा साबन दर्शन मंजन, प्रेम का नीर भराई।

    बचन की रेह भाव की भाठी, बिरह की अगिन जराई॥

    भक्ति नदी जहँ निस दिन बहती, मल-मल तामें मैल गंवाई।

    उज्जल निर्मल हुई सुरत जब, ओढ़त मन अब अति हरखाई॥

    चला गगन पर मिला शब्द संग, चढ़त-चढ़त त्रिकुटी ढिंग आई।

    सुश्र शिखर चढ़ हंस रूप धर, महासुन्न छबि औरहि पाई॥

    भंवर गुफा पर सोहं-सोहं, सत लोक सत सोहं गाई।

    अलख अगम को देखत-देखत, राधास्वामी चरनन जाय समाई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत काव्य-धारा (पृष्ठ 348)
    • संपादक : परशुराम चतुर्वेदी
    • रचनाकार : संत शिवदयाल
    • प्रकाशन : किताब महहल, इलाहाबाद
    • संस्करण : 1981

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