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थंभ बिहूँणी गगन रचीलै

thambh bihunni gagan rachilai

गोरखनाथ

गोरखनाथ

थंभ बिहूँणी गगन रचीलै

गोरखनाथ

और अधिकगोरखनाथ

    थंभ बिहूँणी गगन रचीलै, तेल बिहूँणी बाती।

    गुरु गोरख बचने, पतिआया, तब द्योस नहीं तहां राती॥

    भावार्थ: गोरख कहता है कि जब गुरु के उपदेश का विश्वास (पतिआया) किया तो निराधार (थंभ बिहूँणी) शिव स्थान (गगन) में बिना तेल की बाती के प्रकाश की रचना कर ली, अर्थात् स्वयं प्रकाश अनुभव कर लिया। अब वहाँ दिन−रात का कोई प्रभाव नहीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री गोरख गीत (पृष्ठ 120)
    • रचनाकार : गोरखनाथ
    • प्रकाशन : laxmi prakashan
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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