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इह जगि मीतु न देखिओ कोई

ih jagi mitu na dekhio koi

गुरु तेगबहादुर

गुरु तेगबहादुर

इह जगि मीतु न देखिओ कोई

गुरु तेगबहादुर

और अधिकगुरु तेगबहादुर

    इह जगि मीतु देखिओ कोई।

    सगल जगतु अपनै सुख लागिओ दुख में संगि होई॥

    दारा मीत पूत संबंधी सगरे धन सिव लागे।

    जब ही निरधन देखिओ नरकउ संगु छाड़ि सभ भागे॥

    कहउँ कहा इआ मन बउरे कउ इन सिउ नेहु लगाइओ।

    दीनानाथ सगल भै भंजन जसु ताको बिसराइओ॥

    सुआन पूछ जिउ भइओ सूधो बहुतु जतनु मैं कीनउ।

    नानक लाज बिरद की राखहु नामु तुहारउ लीनउ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 398)
    • संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
    • रचनाकार : गुरु तेगबहादुर
    • प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
    • संस्करण : जनवरी 1955

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