पतिब्रता पति मिली है लाग
patibrta pati mili hai lag
संत दरिया (मारवाड़ वाले)
Sant Dariya (Marwad Vale)
पतिब्रता पति मिली है लाग
patibrta pati mili hai lag
Sant Dariya (Marwad Vale)
संत दरिया (मारवाड़ वाले)
और अधिकसंत दरिया (मारवाड़ वाले)
पतिब्रता पति मिली है लाग।
जहँ गगन मँडल में परम भाग॥
जहँ जल बिन कँवला बहु अनंत।
जहँ वपु बिन भौंरा गोह करंत॥
अनहद बानी अगम खेल।
जहँ दीपक जरै बिन बाती तेल॥
जहँ अनहद सब्द है करत घोर।
बिन मुख बोलै चात्रिक मोर॥
बिन रसना गुन उदत नार।
पाँव बिन पातर निरतकार॥
जहँ जल बिन सरवर भरा पूर।
जहँ अनंत जोत बिन चंद सूर॥
बारह मास जहँ ऋतु बसंत।
ध्यान धरैं जहँ अनंत संत॥
त्रिकुटी सुखमन चुवत छीर।
बिन बादल बरसै मुक्ति नीर॥
अमृत धारा चलै सीर।
कोइ पीवै बिरला संत धीर॥
ररंकार धुन अरूप एक।
सुरत गही उनही की टेक॥
जन दरिया बैराट चूर।
जहँ बिरला पहुंचै संत सूर॥
- पुस्तक : दरिया साहब बानी और जीवन-चरित्र (पृष्ठ 48)
- रचनाकार : संत दरिया (मारवाड़ वाले)
- प्रकाशन : बेलवीडियर प्रिंटिंग वर्क्स, इलाहाबाद
- संस्करण : 1922
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