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साईं सुनहु बिनती मोरि

sain sunahu binti mori

दूलनदास

दूलनदास

साईं सुनहु बिनती मोरि

दूलनदास

और अधिकदूलनदास

    साईं सुनहु बिनती मोरि।

    बुधि बल सकल उपाय-हीन मैं, पाँयन परौं दोऊ कर जोरि।

    इत उत कतहूँ जाइ मनुवाँ, लागि रहै चरनन माँ डोरि॥

    राखहु दासहिं पास आपने, कस को सकिहै तोरि।

    आपन जानि कै मेटहु मेरे, औगुन सबक्रम भ्रम खोरि॥

    केवल एक हितू तुम मेरे, दुनियाँ भरी लाख करोरि।

    दूलनदास के साईं जगजीवन, माँगौ सत दरस निहारि॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संतबानी (पृष्ठ 14)
    • रचनाकार : दूलनदास
    • प्रकाशन : प्रोप्रैटर वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1914

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