सईयां तूं है साहिब मेरा।
मैं हूँ बंदा तेरा॥टेक॥
बंदा बदरा चेरा तेरा, हुकर्मी मैं बेचारा॥
मीरां मिहरवांन गुसांईं, तू सितराज हमारा॥
गुलामं तुम्हारा भुलांजादा, लौंडा घर का जाया॥
राजिक रिजक जीव तैं दीया, हुकम तुम्हारे आया॥
सादील बै हाज़िर बंदा, हुकम तुम्हारे मांही॥
जब ही बुलाया तब ही आया, मैं मैवासी नांही॥
ख़सम हमारा सिरजनहारा, साहिब संम्रथ साँईं॥
मीरां मेरा मिहरि क्या मया करि, दादू तुम हीं तांईं॥
हे ब्रह्म! आप मेरे स्वामी हैं। मैं आपका भक्त हूँ। आपका आज्ञाकारी दास और दीन सेवक हूँ। आप हमारे शिरोमणि दयालु सरदार हैं। हे ज्ञानी! मैं आपका जन्म से अनुचर हूँ और आपके ही घर-जन्मा बालक हूँ। आपने ही यह जीवन और जीविका प्रदान की है। मैं आपके हुक्म से ही इस लोक में आया हूँ। आप चाहे मुझे बेचें या आश्रय में रखें। मैं आपकी प्रत्येक आज्ञा के पालन में प्रसन्नता का अनुभव करता हूँ। मैं अहंकार तथा बड़प्पन से दूर हूँ। आपने जब भी याद किया, मैं उपस्थित हो गया। हे सृष्टि के रचयिता! आप मेरे सामर्य्थवान स्वामी हैं। हे प्रभु! मेरे ऊपर दया करो। मैं इस संसार में आपके ही निमित्त हूँ।
- पुस्तक : दादू समग्र (एक) (पृष्ठ 132)
- रचनाकार : दादू दयाल
- प्रकाशन : अमरसत्य प्रकाशन
- संस्करण : 2007
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