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सबदहिं ताला सबदहिं कूँची

sabadahin tala sabadahin kunchi

गोरखनाथ

गोरखनाथ

सबदहिं ताला सबदहिं कूँची

गोरखनाथ

और अधिकगोरखनाथ

    सबदहिं ताला सबदहिं कूँची, सबदहिं सबद जगाया।

    सबदहिं सबद सूँ परचा हुआ, सबदहिं सबद समाया॥

    वह ब्रह्म (सबद) ताला है, जब तत्त्वज्ञान (सबद) ने आत्मा (सबद) को प्रबुद्ध किया और आत्मा (सबद) का ब्रह्म (सबद) से परिचय हुआ तो आत्मा, ब्रह्म में लीन हो गई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : श्री गोरख गीत (पृष्ठ 117)
    • रचनाकार : गोरखनाथ
    • प्रकाशन : लक्ष्मी प्रकाशन
    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

    ‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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