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ओए झलया किस दा करे गुमान

oe jhalya kis da kare guman

सैन भगत

सैन भगत

ओए झलया किस दा करे गुमान

सैन भगत

और अधिकसैन भगत

    ओए झलया किस दा करे गुमान।

    पंञ्ज ततवां दा बण्या पिंजरा, रब ने कर्या मिलान।

    पृथ्वी अगन जल पवना कहंदे, पञ्जवां तत आसमान॥

    इस पिंजरे विच पंछी बैठ्या, कुहु-कुहु करदा गान।

    पंछी उडूया पिंजरा ख़ाली, पंञ्जई तत्त गरकान॥

    संसार सुपने दी माया, कआं सच्चा जान।

    कूड़ा धन परवार ओए झलया, कूड़ा दिसे जहान॥

    सैना कूड़ कमांदा फिरदाएँ, कूड़ा करदाएँ जखाण।

    सतगुरु सच्चा साहेब मिलिया, दिता नाम फरमान॥

    अरे बावले! तू किस बात का गुमान करता है? यह पाँच तत्वों का पिंजरा परमात्मा ने बनाया है। पृथ्वी, अग्नि, जल, पवन और आकाश। इस पिंजरे में एक पंछी बैठा है, जो कुहु-कुहु मीठे गान कर रहा है। इस पक्षी के उड़ते ही पिंजरा ख़ाली हो जाएगा। पाँचों तत्व नष्ट होकर अपने-अपने मुख्य तत्त्व में मिल जाएँगे। यह संसार तो स्वप्न की माया है। इसे कभी भी सत्य मत मानना। यह धन, परिवार सब झूठ है। अरे सैन! तू तो झूठ कमाई करता फिरता है। और झूठ पद गाता है। सच्चा गुरू मिल गया, उसने नाम दान दे दिया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : संत सैन भगत (पृष्ठ 324)
    • संपादक : अशोेक मिश्र
    • रचनाकार : संत सैन भगत
    • प्रकाशन : आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, मध्यप्रदेश
    • संस्करण : 2013

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