प्रानी कउ हरिजसु मनि नहिं आवै
prani kau harijasu mani nahin aawai
गुरु तेग़ बहादुर
Guru Tegh bahadur
प्रानी कउ हरिजसु मनि नहिं आवै
prani kau harijasu mani nahin aawai
Guru Tegh bahadur
गुरु तेग़ बहादुर
और अधिकगुरु तेग़ बहादुर
प्रानी कउ हरिजसु मनि नहिं आवै।
अहनिसि मगनु रहै माइआ में कहु कैसे गुन गावै॥
पूत मीत माइआ ममता सिउ इहु विधि आपु बँधावै।
मृगतृसना जिउ झूठो इह जगु देखि ताहि उठि धावै॥
भुगति मुकति को कारनु स्वामी मूढ़ ताहि बिसरावै।
जन नानक कोटिन में कोऊ भजनु राम को पावै॥
- पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 396)
- संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
- रचनाकार : गुरु तेगबहादुर
- प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
- संस्करण : जनवरी 1955
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