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प्रभु तुम किहेउ कृपा बरियाईँ

prabhu tum kiheu kripa bariyain

दूलनदास

दूलनदास

प्रभु तुम किहेउ कृपा बरियाईँ

दूलनदास

और अधिकदूलनदास

    प्रभु तुम किहेउ कृपा बरियाईँ।

    तुम कृपाल मैं कृपा अलायक, समुझि निवजतेहु साईं॥

    कूकुर धोये होइ वाछा, तजै नीच निचाई।

    बगुला होइ मानस-बासी, बसहि जे बिषै तलाई॥

    प्रभु सुभाउ अनुहारि चाहिये, पाय धरन सेवकाई।

    गिरगिट पौरुष करै कहाँ लगि, दारि कँड़ौरे जाई॥

    अब नहिं बनत बनाये मेरे, कहन अहाँ गुहराई।

    दूलनदास के साईं जगजीवन, समरथ लेहु बनाई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : संतबानी (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : दूलनदास
    • प्रकाशन : प्रोप्रैटर वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1914

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