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प्रभु तू मेरो प्रान पियारा

prabhu tu mero pran piyara

धरनीदास

धरनीदास

प्रभु तू मेरो प्रान पियारा

धरनीदास

और अधिकधरनीदास

    प्रभु तू मेरो प्रान पियारा।

    परिहरि तोहि अवर जो जाचै, तेहि मुख छीया छारा।

    तो पर वारि सकल जग डारौं, जौ बसि होय हमारा॥

    हिंदू से राम अल्लाह तुरुक के, बहु बिधि करत बखाना।

    दुहुँ को संगम एक जहाँ, तहवाँ मेरो मन माना॥

    रहत निरंतर अंतरजामी, सब घट सहज समाया।

    जोगी पंडित दानि दसो दिसि, खोजत अंत पाया॥

    भीतर भवन भयो उँजियारो, धरनी निरखि सोहाया।

    जा निति देस देसंतर धावो, सो घटहीं लखि पाया॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 29)
    • रचनाकार : धरनीदास
    • प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1931

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