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ना जानौं राम कैसा जोगी

na janaun ram kaisa jogi

धन्ना भगत

धन्ना भगत

ना जानौं राम कैसा जोगी

धन्ना भगत

और अधिकधन्ना भगत

    ना जानौं राम कैसा जोगी, अनेक गुफा मधुसूदन भोगी॥

    खीर खांड घ्रित अंम्रित भोजन, साधनि न्यौंति जिमाऊँ।

    या कुटी छाडौं और निवासौं, बहुरि या कुटि आऊँ राम॥

    आवत जात बहुत मैं किये, इहां रहणा होई।

    भगत धन्ना जाट सेवग तेरा, हंस चल्या कुटि रोई॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धन्नाभगत पैनोरमा
    • रचनाकार : धन्ना भगत
    • प्रकाशन : धुंवाकला

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