माई मैं धनु पाइओ हरि नामु
mai main dhanu paio hari namu
माई मैं धनु पाइओ हरि नामु।
मनु मेरो धावनते छूटिओ, करि बैठो बिसरामु॥
माइआ ममता तन ते भागी, उपजिउ निरमल गिआनु।
लोभ मोह एह परसि न साकै, गही भगति भगवान॥
जनम-जनम का संसा चूका, रतनु नामु जब पाइआ।
त्रिसना सकल बिनासी मन ते, निजसुख माहिं समाइआ॥
जाकउ होत दइआलु किरपानिधि, सो गोबिंद गुन गावै।
कहु नानक इह विधि की संपै, कोऊ गुरमुखि पावै॥
- पुस्तक : कल्याण पत्रिका (संतबानी अंक) (पृष्ठ 397)
- संपादक : हनुमान प्रसाद पोद्दार
- रचनाकार : गुरु तेगबहादुर
- प्रकाशन : गीता प्रेस गोरखपुर
- संस्करण : जनवरी 1955
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