कोई दिन साथणियां संग रमती
koi din sathaniyan sang ramati
कोई दिन साथणियां संग रमती।
रमती-रमती हीजे रहती, चिरम्या ज्यूं ही गमती॥
म्हारो राम संदेशो भेज्यो, सतगुरु नूत बुलाया।
हरजी सत सनेह सूं पोखी, नहीं तो काया गमती॥
मानव पास उदर में राखी, बाबल लाड लडाया।
जनम-जनम रो वर सांवरियो, मिनख धार क्यूं टलती॥
काची काया मन मनसौबा, रमती मोह संग माया।
कान्ह कुंवर ही मोही 'राना', परंपरा सूं चलती॥
- पुस्तक : जाटों की गौरव गाथा (पृष्ठ 46)
- रचनाकार : रानाबाई
- प्रकाशन : राजस्थानी ग्रंथागार
- संस्करण : 2016
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